Rohru or Chirgaon के बागवानों का 2024 में सेब का सीज़न कैसा रहा , बागवानों की मांगे , खरीददारों की मांगे , सीज़न के दौरान आने वाली कठिनाइओं के बारे में आइये संक्षिप्त में जानते है , Rohru or Chirgaon हिमाचल प्रदेश राज्य के जिला शिमला में बसा एक गांव (क़स्बा) है यह जिला शिमला से 130 किलोमीटर दूर सूंदर पहाड़ियों के बीच बसा है। आप निचे दी गई वीडियो में यहाँ की कुछ झलकियां देख सकते है
इस बार के से सीज़न की बात करें तो बागवानों को पहले तो काफी कठिनाइओं से जूझना पड़ा लेकिन समय के साथ उन्हें सब कुछ समझ आने लगा। सरकार द्वारा निर्धारित सेब भरने के लिए यूनिवर्सल कार्टन को मार्किट में लाया गया सरकार के कड़े निर्देश थे की सेब को केवल यूनिवर्सल कार्टन में ही भरा जाये, यह काफी हद तक अच्छा भी है क्योंकी टेलिस्कोपिक कार्टन में बागवानों को उचित दाम नहीं मिल रहे थे,
इसका मुख्या कारण यह था की इन बॉक्सेस में सेब 28 से 38 किलो तक जाता था जिसे की खरीददार काफी काम रेट लगभग 2000 रुपये प्रति बॉक्स खरीदते थे जो की अगर किलो के हिसाब से लगाया जाए तो 50 रुपये से 70 रुपये प्रति किलो जाता है। जिस कारण यूनिवर्सल कार्टन को लाना बहुत आवश्यक हो गया था, आप देख सकते है 2023 और उस से पहले सेब किस तरह भरा जाता था ।
2024 में मुख्या बदलाव Universal Carton
2024 में सरकार का एक अच्छा निर्णय आया कार्टन का लेकिन बागवान अभी इस से रूबरू नहीं थे। आपको बता दूँ की यूनिवर्सल कार्टन में ग्रेड भी घटना पड़ता है और इसमें केवल 22 से 24 किलो तक ही सेब आता है जो की एक अछि बात है क्यूंकि 37 किलो भी वही रेट बिकेगा और 24 किलो भी। पुराने कार्टन में केवल खरीददारों का फायदा था वे कम रेट में ज्यादा सेब ले जाते थे !
Rohru or Chirgaon के बागवानों का 2024 में सेब का सीज़न
प्रोग्रेसिव बागवान डिंपल जी का कहना है की सेब के दाम मे गिरावट जो दाम आज से 15 साल पहले मिलते थे उससे भी कम मिल रहे । नेता गुड खा के बैठ गए हैं।किसान कर्ज लेने की तैयारी मे लगे हैं।किसान नेता सरकार की गोद मे बैठ कर मजे ले रहे । वाह रे राजनीति कभी सड़कों पर कभी सचिवालय के अंदर गुलदस्ते देकर , 2027 के बाद फिर से किसानों की आवाज को बुलंद किया जाएगा किसानों के उनकी फसल का उचित मूल्य मिलना बिल्कुल तय है। अदानी को प्रदेश से बाहर किया जाएगा,दाम बाहर से आया पूंजीपति तय नही करेगा बल्कि किसानों को लिख के दिया जायेगा की अपनी फसल के दाम तय करे ।
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इस साल की कुछ यादें