Sdm ROHRU का दिल छू लेने वाला कार्य

SDM Rohru का दिल छू लेने वाला कार्य

हिमाचल प्रदेश के रोहरु क्षेत्र में SDM Rohru द्वारा एक ऐसा कार्य हुआ है जो न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि समाज के लिए एक नई दिशा भी प्रदान करता है। प्रशासनिक अधिकारी, SDM Rohru श्री विजय वर्धन जी ने एक ऐसा कदम उठाया है, जिसकी आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी। इस लेख में हम इस विशेष कार्य पर विस्तार से चर्चा करेंगे और यह समझने का प्रयास करेंगे कि यह पहल किस प्रकार से समाज के लिए लाभदायक सिद्ध हो सकती है।

gau sadan rohru

बेसहारा गौ माता की स्थिति

हमारे सनातन धर्म में गाय को माता का दर्जा दिया गया है। इसे केवल धार्मिक मान्यता के रूप में नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक दृष्टि से भी देखा जाता है। एक समय था जब ग्रामीण क्षेत्रों में गाय और बैल कृषि के महत्वपूर्ण हिस्से थे, लेकिन आधुनिकता और शहरीकरण के कारण यह संस्कृति धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही है।

आज, रोहरु और चिरगांव जैसे छोटे शहरों में भी हमें जगह-जगह बेसहारा गौ माता और नंदी महाराज घूमते हुए मिल जाते हैं। कभी-कभी ये वृद्ध हो जाते हैं और कभी-कभी इन्हें मालिक द्वारा छोड़ दिया जाता है, क्योंकि वे अब उपयोगी नहीं रहे। यह एक गंभीर सामाजिक समस्या बन गई है, जिसे अनदेखा नहीं किया जा सकता।

मुझे आज भी याद है कि जब मैं छोटा था, मेरे परिवार ने दो बैल कोटखाई से खरीदे थे। उन्हें लाने में दो दिन का समय लगा था, क्योंकि उस समय परिवहन के साधन सीमित थे। लेकिन आज के दौर में जब गाड़ियों की कोई कमी नहीं, तब भी गौ माता को सहारा देना लोगों के लिए कठिन हो गया है।

अनैतिक व्यवहार और गौ माता का शोषण

वर्तमान समय में व्यावसायिक लाभ के लिए गौ माता के साथ अनैतिक व्यवहार किया जाता है। उन्हें कृत्रिम रूप से गर्भवती कराया जाता है, ताकि दूध का उत्पादन बढ़ाया जा सके। यदि बछड़ी जन्म लेती है, तो उसे पालने के लिए रखा जाता है, लेकिन यदि बछड़ा पैदा होता है तो उसे या तो तुरंत मार दिया जाता है या फिर उसे बेसहारा छोड़ दिया जाता है।

इसी तरह, जब कोई गाय बूढ़ी हो जाती है और दूध देना बंद कर देती है, तब उसे भी सड़कों पर छोड़ दिया जाता है। यह स्थिति किसी भी संवेदनशील व्यक्ति के लिए बहुत पीड़ादायक होती है। क्या हम इस आधुनिकता की ओर बढ़ते हुए अपने नैतिक कर्तव्यों को भूलते जा रहे हैं? यह सोचने वाली बात है।

SDM Rohru की अनूठी पहल

SDM Rohru, श्री विजय वर्धन ने इस गंभीर समस्या को समझा और इसके समाधान के लिए प्रयास किया। पिछले दो वर्षों से वे लगातार इस विषय पर काम कर रहे थे कि बेसहारा गौ माता के लिए उचित आश्रय कैसे उपलब्ध कराया जाए। उनकी मेहनत रंग लाई और अब रोहरु में “भीमा काली जीव सदन” (गौ सदन) बनकर तैयार हो चुका है।

यह गौ सदन एक महत्वपूर्ण पहल है, जो न केवल बेसहारा गौ माता को आश्रय देगा, बल्कि उनके उचित देखभाल की भी व्यवस्था करेगा। प्रशासनिक स्तर पर इस प्रकार का प्रयास बहुत कम देखने को मिलता है, इसलिए SDM Rohru की इस पहल की जितनी सराहना की जाए, उतनी कम है।

Bhima kali jeev sadan rohru

समाज के लिए प्रेरणा

SDM Rohru की इस पहल से प्रेरित होकर कई समाजसेवी भी आगे आए हैं। रोहरु के सेब व्यापार में अग्रणी और किसानों के प्रिय, श्री संजीव चौहान (SxS) ने भी इस दिशा में सराहनीय कार्य किया है। उन्होंने अपनी दुकान के बाहर कई बीमार और बेसहारा गौ माता को बांध रखा है और स्वयं उनके लिए चारा उपलब्ध कराते हैं।

Thanks to SxS संजीव चौहान जी

यह उदाहरण हमें दिखाता है कि यदि समाज का हर व्यक्ति थोड़ा-थोड़ा प्रयास करे, तो इस समस्या का हल निकाला जा सकता है। यदि हर गांव में कुछ लोग मिलकर 4-5 बेसहारा गौ माता को सहारा दें, तो शायद यह समस्या जड़ से समाप्त हो जाए।

Thanks to SxS संजीव चौहान जी

चिरगांव में निर्माणाधीन गौशाला

इसी दिशा में चिरगांव में भी कुछ समाजसेवियों ने मिलकर बेसहारा गौ माता के लिए एक गौशाला निर्माण करने का प्रयास किया गौशाला का नाम है परशुराम गौ सेवा समिति धागोली, आंध्रा । हालांकि, आर्थिक तंगी और सहयोग की कमी के कारण यह कार्य पूर्ण रूप से पूरा नहीं हो पाया। लेकिन प्रधान जी और गौशाला कमेटी के अन्य सदस्यों का कहना है कि आने वाले समय में इस गौशाला का निर्माण अवश्य पूरा किया जाएगा।

यदि इस गौशाला को पूर्ण किया जाता है, तो यह चिरगांव और आसपास के क्षेत्रों की बेसहारा गायों के लिए एक सुरक्षित स्थान होगा। लेकिन यह तभी संभव होगा, जब हम सभी हिमाचलवासी इस प्रयास में अपना योगदान देंगे।

हम क्या कर सकते हैं?

यदि आप भी इस नेक कार्य में भागीदार बनना चाहते हैं, तो निम्नलिखित तरीकों से मदद कर सकते हैं:

  1. दान करें: गौशालाओं को आर्थिक सहायता देने से इन संस्थानों को चलाने में सहायता मिलेगी।
  2. गौ माता को अपनाएं: यदि आपके पास संसाधन हैं, तो आप बेसहारा गौ माता को अपनाकर उनकी देखभाल कर सकते हैं।
  3. समाज में जागरूकता फैलाएं: अधिक से अधिक लोगों को इस समस्या के बारे में बताएं, ताकि वे भी इस कार्य में सहयोग कर सकें।
  4. स्थानीय प्रशासन का समर्थन करें: यदि प्रशासन इस तरह के प्रयास कर रहा है, तो हमें उन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए।

मेरा विचार

SDM Rohru, श्री विजय वर्धन जी द्वारा उठाया गया यह कदम पूरे हिमाचल प्रदेश के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण है। यह दिखाता है कि यदि प्रशासन और समाज मिलकर कार्य करें, तो किसी भी समस्या का समाधान संभव है।

हम सभी को इस नेक कार्य में अपना योगदान देना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी गौ माता या नंदी महाराज बेसहारा न रहे। यदि हम सभी थोड़ी-थोड़ी जिम्मेदारी उठाएं, तो यह संसार और भी सुंदर बन सकता है।

धन्यवाद।

चिरगांव के अंतर्गत आने वाली गौशाला जिसका कार्य निर्माणाधीन है उसकी विसो फुटेज आप यहाँ देख सकता है CLICK HERE

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