Jabal Narayan History In Hindi 35 गांव के इष्ट देव जाबल नारायण जी

Jabal Narayan History In Hindi लगभग 1000 साल पुरानी पौराणिक कथा के अनुसार जाबल नारायण, रामणी नारायण, व गोकसी नारायण जी इन देवों का प्रवित्र उत्पत्ति स्थल (आसथगं माटि रामणी) है, जो की जिला किनौर में स्थित है । रामणी नारायण जी सबसे पहले साम्राज्य स्थापित करने लिए स्थान देखने पूर्व की और चल पड़े । रामणी नारायण जी झंझवानी गांव जो जिगाह वैली में स्थित है है उधर पहुंचे। रामणी नारायण जी को वह क्षेत्र निवास स्थान हेतु अच्छा लगा और कुछ वर्ष वहीँ रहे अगर आप अभी भी इस गांव में जाओगे तो रामणी नारायण जी का आज भी इस गांव में मन्दिर है। रामणी नारायण जी ने वापस रामणी आ के सारा वृत्तांत अपने भाईयों को सुनाया।

रामणी नारायण मन्दिर
रामणी नारायण मन्दिर झंझवानी

 

तत्पश्चात जाबल नारायण जी साधु के वेश में पूर्व की ओर चल पड़े। शाटुल घाटी पहुंचने पर जाबल नारायण जी की मुलाकात पवासी महाराज रोहल से हुई। पावसी महाराज का उस समय रोहल में विराजमान थे पवासी महाराज जाबल नारायण जी के आने के उद्देश्य को भली-भांति समझ चुके थे कि इन का उद्देश्य सम्राज्य स्थापित करने का है। अतः दोनों महाशक्तियों के बीच जो भी हुआ उसे कह पाना बहुत ही मुश्किल है क्यूंकि इसके कोई साबुत अभी तक उपस्थित नहीं है ! जाबाल नारायण वहां से अपने भाई के बताये स्थान की और चल पड़े और फिर जाबल पहुंचे जहाँ से उन्होंने 35 गाओं में अपना प्रभुत्व बनाया !

जाबल नारायण जी
जाबल नारायण जी

 

और एक अलग कथा के अनुसार धनुष प्रतिस्पर्धा हुई इस प्रतिस्पर्धा में जो तीर जितने गांव में डालेगा वो उन गांवों में साम्राज्य स्थापित करेगा। जाबल नारायण जी ने लगभग 35 गांव तक तीर पहुंचाए । इस तरह उन‌ का क्षेत्र समस्त जिगाह वैली के 35 गांव में हो गया, जाबल नारायण जी को समस्त नाकारात्मक व सकारात्मक शकितयों के स्वामी कहा जाता हैं।

Jabal Narayan History In Hindi

पंदरहवीं, सोलहवीं शताब्दी में राजा केहरी सिंह जी के समय देवता साहब जाबल नारायण जी बुशैहर रियासत की राजधानी सराहन बुशैहर गए थे तो वो मन्दिर के मुख्य पौड़ी से ना होकर मन्दिर की दांई ओर से रस्सीयों के सहारे मां भीमा काली जी के प्रणागण में उपस्थित हुए थे। जाबल नारायण जी ने उस समय बुशैहर राज वंश में आई विपदा को अपने माली (माली मतलब जिनके माद्यम से देवता जी अपनी जनता पर आई विपदि को टालते है ) के माध्यम से माली को घोड़े में बिठाकर बुशैहर वंश के उपर आई विपदा को टाला था।

Jabal Narayan History In Hindi
Jabal Narayan History In Hindi

 

लोककथा के अनुसार श्री श्री श्री बद्री विशाल नाथ (कामरु) किन्नौर जी अपने बखान में कहते हैं कि मां भीमा काली जी ने जाबल नरेण जी को बुशैहर वंश के उपर किसी भी प्रकार की नाकारात्मक शक्तियों को दूर करने का अधिकार दिया हुआ है। जाबल नारायण जी कभी (रामणी किन्नौर) प्रवास में होते हैं तो अपने भाई की जगह में जाकर भगवान बद्री विशाल के उपर छाई नकारात्मक शक्ति को दूर करते हैं।

jabal narayan

सीढ़ी बोलो सराहाणा हो मेरे नारेणा री पीड़ी,
राजो दीया लो हुक्मा देवा लाओ जबली नारेणा काले सीढ़ी ।

रण जिता री पलगी चाली जाबला रो देउ,
काली तेरी किरणी रो लाये आशु ठेऊ ।।

टानो कोरेडा तू जेठू नरेणा बोठे री वियाली,
थुने आरोडे मुसला कोरेडा छारे री बिराली।

जाबलो रे नरेणुआ देवा तेरो पूजो टाणो,
बीजो कोरियो सोरगो धूणी बिथरी ले जाणो।

शिलुये लडोटिये बानो बे डोडरे रो गांठा,
खादो खोर्चो पूरा ले मेरे गुम्मेया रे भाटा।

टिकरो रे परोळो दिशो ला खांगटे रा खोला,
तेओ देखिओ रोंजी बाज़ीरो रा भोरियो ला गोला।

लाडी जिगुआलटी कोरो बिष्टो के सुई,
सातो जुगो रे बोहिनो तेरी रोंजिया हुई।

सुनो मांगो थो रोंजी बज़ीरा सुनो मुखे नई,
चाम्बे री फोलिये देऊं तेरे शिरकोटो छाईं।

35 गांव के इष्ट देव जाबल नारायण जी
35 गांव के इष्ट देव जाबल नारायण जी
Jabal Narayan Temple
Jabal Narayan Temple

 

 

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