historical Bhanphad fair 100 वर्षों से भी अधिक समय से मनाया जा रहा यह ऐतिहासिक भंफड मेला

100 वर्षों से भी अधिक समय से मनाया जा रहा यह ( historical Bhanphad fair ) ऐतिहासिक भंफड मेला, यह मेला जीगाह वैली में अगस्त के महीने में मनाया जाता है । महादेव और जाबल नारायण जी द्वारा इस मेले का शुभारंभ किया जाता है। पुराने समय में जब लोगों का मुख्य वयवसाय कृषि व भेड़ बकरी पालन हुआ करता था पूरी साल लोग कई प्रकार के अनाज उगाते थे जिनका कार्य भादो (अगस्त) आते आते ख़तम हो जाता था जिस कारण भी इस मेले का महत्व काफी बढ़ जाता था।

mahadev , Jaabal Narayan

प्रधान जाबाल नारायण मंदिर कमिटी ने बताया की भंफड का जो मेला होता है वह एक ऐतिहासिक मेला है इस मेले में जाबल नारायण ओर महादेव का मिलन होता है आम जनता का भी आपस में मिलन होता है साथ ही उन्होंने बताया की इस मेले में महत्वपूर्ण भूमिका जाबल नारायण की होती है !

Jaabal Narayan
Jaabal Narayan

जाबाल नारायण जब अपने 35 गांव के दौरे में लिकलते है तो जब भंफड नामक स्थान पर पहुंचते है तो वहां महादेव और जाबाल नारायण के मिलन के अवसर पर यह मेला मनाया जाता है। तीन दिन तक होने वाला यह मेला दो दिन में भंफड में मनाया जाता है और मेले का तीसरा दिन इंटाली नामक स्थान पर मनाया जाता है इस मेले में 35 गांव के लोग जाबल नारायण के साथ शरीख होते है !

प्रधान जाबाल नारायण मंदिर कमिटी
प्रधान जाबाल नारायण मंदिर कमेटी

 

historical Bhanphad fair

इस मेले में फवालों (भेड़ बकरी पालक) की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है । फवाल इस मेले में जहां वो अपनी भेड़ बकरियां चराते है वहां से भ्रम कमल के फूल लाकर इन दो महान शक्तियों को अर्पित करते है उसके बाद ही मेले का शुभारंभ होता है

historical Bhanphad fair
historical Bhanphad fair

 

आज के समय में मेले का औचित्य ही बदल गया है , मेले हमारे पूर्वजों द्वारा एक ऐसी व्यवस्था बनाई गई थी ताकि हर एक व्यक्ति एक्सप्लोर कर सके , एक दूसरे का रहन सहन के बारे में जान सके , एक दूसरे से मेल मिलाप कर सके , एक गांव दूसरे गांव के बारे में जान सके , ताकि लोग हमेशा भाईचारे से अपना जीवन व्यतीत कर सके । उस समय महान शक्तियों जाबाल नारायण और महादेव द्वारा मेले का आयोजन किया जाता था उनके सम्मान में रात और दिन मेला लगाया जाता था और इन मेलों में जो बोल बोले जाते थे वह इन महान शक्तियों से संबंधित ही होते थे ।

ऐतिहासिक भंफड मेला
ऐतिहासिक भंफड मेला

लेकिन अब समय ऐसा आ गया है कि लोग मेलों में आस्था के भाव से नही जाते, लोगों के जाने का मकसद ही और होता है , इसलिए हमे अपने आप को आगे तो बड़ाना है मै ये नही कहता की अपनी सोच ही पुरानी रखो, हमे समाज और टेक्नोलॉजिस के साथ आगे बड़ाना है लेकिन हमारी संस्कृति , रीति रिवाज को साथ लेकर ।

भंफड मेला
भंफड मेला

 

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