मार्च का महीना सेब के बगीचे के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। यह वह समय होता है जब पेड़ सर्दी के बाद फिर से जागते हैं और उनमें नई पत्तियाँ, फूल और कलियाँ आने लगती हैं। इस समय सही देखभाल करने से अच्छी पैदावार मिलती है और फल बेहतर गुणवत्ता के होते हैं। इस लेख में हम हर जरूरी पहलू को विस्तार से समझेंगे ताकि आपके सेब के बगीचे का प्रबंधन पूरी तरह सही हो सके।
सेब के पेड़ में छंटाई और आकार सुधार:-
छंटाई क्यों जरूरी है?
- ठंड के मौसम में पेड़ों में कई सूखी और बेकार टहनियाँ बन जाती हैं। इन्हें हटाना जरूरी है ताकि नया विकास अच्छे से हो सके।
- छंटाई से पेड़ में हवा और रोशनी सही से पहुँचती है, जिससे रोगों और कीटों का खतरा कम होता है।
- सही तरीके से टहनियों को काटने से फल बड़े और मीठे होते हैं।
छंटाई कैसे करें?
- सूखी और मरी हुई टहनियों को काटें – ये टहनियाँ किसी काम की नहीं होतीं और इन्हें हटाने से पेड़ की ऊर्जा बचती है।
- आपस में उलझी टहनियाँ हटा दें – कई बार टहनियाँ एक-दूसरे के ऊपर बढ़ जाती हैं, जिससे हवा और धूप नहीं पहुँच पाती।
- बहुत लंबी शाखाओं को छोटा करें – इससे पेड़ की ऊँचाई नियंत्रित रहती है और तुड़ाई में आसानी होती है।
- मुख्य शाखाओं को सहारा दें – कमजोर शाखाओं को बाँधकर सहारा देना चाहिए, ताकि वे टूटें नहीं।
सही उपकरण का उपयोग करें
- तेज धार वाली कैंची और आरी का इस्तेमाल करें।
- कटाई के बाद बोर्डो पेस्ट या कॉपर बेस्ड पेस्ट लगाएँ, ताकि कटे हुए हिस्सों में कोई संक्रमण न हो।
पोषण और खाद प्रबंधन:-
मार्च में सेब के पेड़ को सही पोषण देना बहुत जरूरी है, क्योंकि इस समय फूल और नई टहनियाँ विकसित होती हैं।
उर्वरकों की सही मात्रा और प्रकार
तत्व | उपयोगिता | मात्रा प्रति पेड़ |
---|---|---|
नाइट्रोजन (N) | हरी पत्तियाँ और बढ़वार के लिए | 200-250 ग्राम यूरिया |
फास्फोरस (P) | जड़ें मजबूत करने के लिए | 150-200 ग्राम सुपर फॉस्फेट |
पोटाश (K) | फूलों और फलों की गुणवत्ता सुधारने के लिए | 150-200 ग्राम म्यूरेट ऑफ पोटाश |
बोरॉन (B) | फूलों को झड़ने से रोकने के लिए | 0.1% स्प्रे |
जिंक (Zn) | नई पत्तियाँ और शाखाएँ विकसित करने के लिए | 0.5% स्प्रे |
खाद डालने का सही तरीका
- उर्वरक को जड़ों के पास न डालें, बल्कि 1-2 फीट की दूरी पर डालें।
- खाद डालने के बाद मिट्टी को हल्का पानी दें, ताकि पोषक तत्व घुल जाएँ।
- जैविक खाद (गोबर की खाद, वर्मीकम्पोस्ट) का उपयोग करें, जिससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहे।

सिंचाई प्रबंधन:-
पानी कब और कितना दें?
✅ पहली सिंचाई तब करें जब बर्फ पूरी तरह पिघल जाए।
✅ 10-15 दिन के अंतराल पर हल्की सिंचाई करें।
✅ फूल आने के समय ज्यादा पानी न दें, इससे फूल झड़ सकते हैं।
✅ जरूरत से ज्यादा पानी देने से बचें, क्योंकि इससे जड़ें गल सकती हैं।
पानी देने का सही तरीका
- ड्रिप सिंचाई प्रणाली सबसे अच्छी होती है, क्योंकि इससे पानी की बचत होती है और जड़ों तक सही मात्रा में नमी पहुँचती है।
- बाढ़ पद्धति से सिंचाई न करें, क्योंकि इससे मिट्टी में जलभराव हो सकता है, जिससे जड़ें खराब हो सकती हैं।
रोग और कीट नियंत्रण:-
मार्च में सेब के पेड़ में कई तरह की बीमारियाँ और कीट लग सकते हैं। सही समय पर उपचार करने से उत्पादन में नुकसान नहीं होता।
प्रमुख रोग और उनका नियंत्रण
रोग का नाम | पहचान के लक्षण | समाधान |
---|---|---|
स्कैब (Scab) | पत्तों और फलों पर काले धब्बे | बोर्डो मिक्सचर (1%) या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड का छिड़काव |
पाउडरी मिल्ड्यू | पत्तियों पर सफेद पाउडर जैसा दाग | सल्फर या कार्बेन्डाजिम स्प्रे |
फायर ब्लाइट | टहनियाँ और फूल सूखकर जलने जैसे दिखते हैं | स्ट्रेप्टोसाइक्लिन स्प्रे |
प्रमुख कीट और उनका नियंत्रण
कीट का नाम | प्रभाव | नियंत्रण |
---|---|---|
एफिड (Aphid) | पत्तियाँ सिकुड़ जाती हैं | नीम तेल या इमिडाक्लोप्रिड स्प्रे |
माइट (Mites) | पत्तियों में पीले धब्बे और जाल बनना | सल्फर पाउडर या माइटिसाइड का छिड़काव |
परागण प्रबंधन:-
मार्च में सेब के फूल खिलने लगते हैं, इसलिए परागण सही से होना जरूरी है।
✅ मधुमक्खियाँ परागण में मदद करती हैं, इसलिए बगीचे में मधुमक्खी के छत्ते रखें।
✅ सेब के बगीचे में फूलों वाले पौधे (जैसे सरसों) उगाएं, ताकि प्राकृतिक परागण में मदद मिले।
✅ यदि क्षेत्र में मधुमक्खियाँ कम हैं, तो हाथ से परागण (Hand Pollination) करें।

पाले से बचाव:-
मार्च में ठंड की वजह से फूल झड़ सकते हैं और नई पत्तियाँ मुरझा सकती हैं। इससे बचाव के लिए—
✅ धुआँ तकनीक (Smoke Method) अपनाएँ ताकि तापमान गिरने से बचा रहे।
✅ स्प्रिंकलर सिंचाई करें ताकि बर्फ की परत न जमे।
✅ एंटी-फ्रॉस्ट स्प्रे (Anti-frost spray) का उपयोग करें।
निष्कर्ष :-
मार्च में सेब के बगीचे का सही प्रबंधन करने से पूरे साल अच्छी पैदावार मिलती है।
✅ छंटाई सही समय पर करें ताकि पेड़ स्वस्थ रहें।
✅ खाद और उर्वरक सही मात्रा में डालें ताकि फसल अच्छी हो।
✅ सिंचाई संतुलित करें, ज्यादा पानी नुकसानदायक हो सकता है।
✅ रोग और कीटों पर नजर रखें और समय पर छिड़काव करें।
✅ परागण को बेहतर बनाएं ताकि फलों की संख्या बढ़े।
✅ पाले से सुरक्षा के उपाय अपनाएं ताकि पेड़ को ठंड से नुकसान न हो।
अगर आपको अपने इलाके के हिसाब से कोई विशेष सलाह चाहिए, तो मुझे बताइए! 😊