Mourning day Maana एक पौराणिक कथा और रहस्यमयी परंपरा हर 3 साल बाद

Maana पर्व: एक पौराणिक कथा और रहस्यमयी परंपरा

भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत में अनेक त्योहार और परंपराएं मौजूद हैं, जो अपने अनूठे इतिहास और मान्यताओं के कारण प्रसिद्ध हैं। ऐसा ही एक पर्व है Maana (माणा), जो हिमाचल प्रदेश के जाबल नारायण देवता से जुड़ा हुआ है। यह पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि इसकी पौराणिक कथा और अद्वितीय परंपराएं इसे विशेष बनाती हैं। Maana पर्व का आयोजन हर तीन वर्षों में किया जाता है, जिसमें देवता की कृपा और दिव्यता के दर्शन किए जाते हैं। आइए इस पर्व की उत्पत्ति, परंपराओं और इसके महत्व को विस्तार से समझते हैं।

Maana की पौराणिक कथा

Maana पर्व का आरंभ एक अत्यंत रोचक और रहस्यमयी घटना से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि जाबल गांव के निवासी अपने खेतों में फसल की देखभाल कर रहे थे और उसमें उग आए खरपतवार (नेलना) को हटाने में लगे थे। इस कार्य के दौरान एक असामान्य घटना घटी।

गांव की एक महिला, जो अपनी छोटी बेटी के साथ खेतों में काम कर रही थी, ने एक खेत से खरपतवार हटाया। दिनभर की मेहनत के बाद वे अपने घर लौट आईं, लेकिन अगली सुबह जब वे वापस खेत में पहुंचीं तो यह देखकर हैरान रह गईं कि खरपतवार फिर से उग आए थे। इस घटना को उन्होंने अधिक गंभीरता से नहीं लिया और दोबारा खेत साफ किया।

लेकिन जब तीसरी बार यह घटना दोहराई गई, तो महिला ने निश्चय किया कि वह रातभर खेत में रहकर इसे साफ करेगी और पूरी तरह सुनिश्चित करेगी कि खरपतवार वापस न उगे। दुर्भाग्यवश, अत्यधिक परिश्रम और रातभर जागने के कारण माँ और बेटी दोनों की मृत्यु खेत में ही हो गई।

Maana
Maana

देवता जाबल नारायण का आदेश

जब इस दुखद घटना का पता गांव के लोगों को चला, तो उन्होंने अपने आराध्य देवता जाबल नारायण से इस रहस्यमयी घटना के बारे में पूछा। कहा जाता है कि देवता को इस घटना से गहरा शोक हुआ और उन्होंने इसे याद रखने के लिए एक विशेष परंपरा (Maana) की शुरुआत की।

देवता जाबल नारायण ने आदेश दिया कि हर तीन वर्ष में एक बार, 35 गांवों की पूरी जनता इस घटना को याद करने के लिए जाबल गांव में एकत्रित होगी और शोक मनाएगी। इस परंपरा को ही Maana पर्व कहा जाता है। इस पर्व के दौरान गांवों में विशेष नियम बनाए जाते हैं और देवता जाबल नारायण पूरे साम्राज्य में भ्रमण करते हैं।

Maana पर्व की अनूठी परंपराएं

1. देवता का यात्रा समारोह

Maana पर्व शुरू होने से पहले देवता जाबल नारायण पूरे 35 गांवों की यात्रा करते हैं और अपने साथ गाना लेकर आते हैं। गाना वह पवित्र आत्मा है, जिसमें उस बच्ची की आत्मा समाहित मानी जाती है, जो खेत में अपनी माँ के साथ मारी गई थी।

2. गाने की शक्ति

गाने को असीम शक्ति प्रदान की जाती है और कहा जाता है कि Maana के दौरान जो भी व्यक्ति गाने को छूता या कुछ कहता है, उसका प्रभाव तुरंत दिखाई देता है। यह गाना विशेष रूप से बकोरा गांव का होता है और इसे माणा पर्व की समाप्ति तक देवता के साथ रखा जाता है।

3. गाने की वापसी

Maana पर्व की रात को यह गाना बकोरा गांव में वापस ले जाया जाता है। यदि किसी कारण से गाने की पगड़ी खुल जाती है, तो इसे शासक के लिए अशुभ माना जाता है और राजा को देवता से समाधान प्राप्त करना पड़ता है।

4. देऊगार (बाहरी व्यक्तियों का प्रवेश वर्जित)

Maana पर्व के दौरान देऊगार लगाई जाती है, जिसका अर्थ है कि गांव में बाहरी व्यक्तियों का प्रवेश वर्जित होता है। यह तब तक जारी रहता है जब तक कि Maana पर्व संपन्न नहीं हो जाता।

5. बासा में देवता का विश्राम

Maana पर्व के दौरान, मटवानी गांव में बासा नामक स्थान पर देवता और गाना रातभर ठहरते हैं। मान्यता है कि इस दौरान गाने की पगड़ी खुलने से राज्य में अशुभ घटनाएँ घट सकती हैं।

6. खरसाली से हूल का आगमन

Maana पर्व के दौरान खरसाली गांव से हूल (एक विशेष अनुष्ठान) लाया जाता है। इसके पीछे की मान्यता और इतिहास अभी पूरी तरह ज्ञात नहीं है, लेकिन यह पर्व का महत्वपूर्ण हिस्सा है।

gaana
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Maana पर्व का आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व

Maana पर्व केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि यह संपूर्ण समुदाय को एक साथ जोड़ने वाला पर्व है। यह हमें संवेदनशीलता, एकता, परंपरा और इतिहास को समझने का अवसर प्रदान करता है। यह पर्व देवता और उनके अनुयायियों के बीच एक विशेष आध्यात्मिक संबंध स्थापित करता है, जहाँ लोग अपनी आस्था और विश्वास को और अधिक मजबूत करते हैं।

इसके साथ ही, यह पर्व हमें हमारी सांस्कृतिक विरासत और पुरानी परंपराओं को संरक्षित करने का संदेश देता है। Maana पर्व न केवल एक पौराणिक कथा को जीवंत रखता है, बल्कि यह सामाजिक समरसता और सामुदायिक सहयोग को भी बढ़ावा देता है।

अंतिम विचार

Maana पर्व हिमाचल प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं का प्रतीक है। यह न केवल एक दुखद घटना को स्मरण करने का अवसर प्रदान करता है, बल्कि इससे जुड़े धार्मिक और आध्यात्मिक तत्व इसे और भी विशिष्ट बनाते हैं। देवता जाबल नारायण का यह पर्व हजारों लोगों की श्रद्धा, विश्वास और परंपरा का जीवंत उदाहरण है। Maana पर्व हमें यह सिखाता है कि आस्था और परंपराओं का सम्मान करना हमारे जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा होना चाहिए। अगर कभी आपको इस अनोखे पर्व का अनुभव करने का अवसर मिले, तो इसे अवश्य देखना चाहिए, क्योंकि यह परंपरा, भक्ति और आध्यात्मिकता का अद्भुत संगम है।

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