क्या आप यकीन करेंगे कि सिर्फ 8 रुपये का एक ऐसा शेयर भी है,जो चुपचाप, बिना किसी शोर-शराबे के…अपना बिज़नेस दुगना कर चुका है? जिसका ऑपरेटिंग मार्जिन 70% से ऊपर है,प्रॉफिट 3 साल में 100% से ज़्यादा बढ़ चुका है, और बैलेंस शीट इतनी ताक़तवर बन चुकी है कि बड़े-बड़े प्लेयर्स को टक्कर दे सके। और सबसे दिलचस्प बात? आज भी इस कंपनी को ज़्यादातर निवेशक नज़रअंदाज़ कर रहे हैं। तो चलिए उठाते हैं परदा इस हिडन जेम से — जिसका नाम है Akme Fintrade (India) Ltd.। और जानते हैं वो सारे डेटा पॉइंट्स, जो इसे एक लॉन्ग टर्म मल्टीबैगर कंटेंडर बना सकते हैं!

Akme Fintrade की बिक्री और मुनाफे का सफर
सबसे पहले बात करते हैं बिक्री की — साल दो हज़ार उन्नीस में Akme Fintrade कंपनी की बिक्री सत्तासी करोड़ रुपये थी। लेकिन जब कोविड का तूफान आया, तो दो हज़ार इक्कीस में यह घटकर अड़सठ करोड़ रह गई। यह गिरावट निश्चित रूप से चिंता का विषय थी। मगर यही से शुरू हुआ कंपनी का असली कमबैक — दो हज़ार बाईस, तेईस और चौबीस में लगातार रिकवरी करते हुए कंपनी दो हज़ार पच्चीस में एक सौ तीन करोड़ रुपये की रिकॉर्ड बिक्री तक पहुंच गई। और जब बिक्री बढ़ती है, तो अगला सवाल उठता है — मुनाफा। आइए अब देखें कि मुनाफे में क्या रहा उतार-चढ़ाव।
ऑपरेटिंग प्रॉफिट और मार्जिन
जहां बिक्री ऊपर गई, वहीं ऑपरेटिंग प्रॉफिट भी पीछे नहीं रहा। दो हज़ार उन्नीस में बहत्तर करोड़ रुपये, जो दो हज़ार पच्चीस में बढ़कर उन्यासी करोड़ रुपये हो गया। और सबसे दिलचस्प बात — ऑपरेटिंग मार्जिन यानी OPM ने हर साल साठ प्रतिशत से ऊपर बने रहकर यह साबित किया कि कंपनी की लागत पर पकड़ मजबूत है। दो हज़ार पच्चीस में तो OPM सत्तहत्तर प्रतिशत रहा — जो बताता है कि कंपनी केवल बेच नहीं रही, बल्कि मुनाफे के साथ बेच रही है। अब जब मुनाफा मजबूत है, तो देखते हैं इसका असर नेट प्रॉफिट और प्रति शेयर कमाई (EPS) पर क्या पड़ा।
नेट प्रॉफिट और ईपीएस
नेट प्रॉफिट की बात करें तो, दो हज़ार उन्नीस में अठारह करोड़ रुपये से बढ़कर दो हज़ार पच्चीस में तैंतीस करोड़ रुपये हो गया।
यानि सिर्फ तीन सालों में एक सौ एक प्रतिशत की जबरदस्त बढ़ोतरी। लेकिन इस ग्रोथ के बावजूद EPS थोड़ा घटा,
क्योंकि शेयर पूंजी बढ़ी — दो हज़ार उन्नीस में EPS था चार रुपये नौ पैसे, जबकि दो हज़ार पच्चीस में है अठहत्तर पैसे। पर एक अच्छी खबर — यह फिर भी दो हज़ार बाईस के उन्नीस पैसे से चार गुना से ज्यादा है। अब तक Akme Fintrade कंपनी की कमाई की तस्वीर तो साफ हो गई, लेकिन क्या बैलेंस शीट भी उतनी ही मजबूत है?
बैलेंस शीट की ताक़त
दो हज़ार बाईस में Akme Fintrade की कुल संपत्तियाँ थीं तीन सौ चौंहत्तर करोड़ रुपये, जो अब दो हज़ार पच्चीस में बढ़कर हो चुकी हैं छह सौ पचहत्तर करोड़ रुपये — यानि तीन साल में करीब दोगुनी। रिज़र्व्स भी उछलकर एक सौ पंद्रह करोड़ से तीन सौ चालीस करोड़ रुपये तक पहुंच गए हैं — इससे साफ है कि कंपनी अपने मुनाफे को बचाकर भविष्य के लिए निवेश कर रही है। लेकिन, साथ ही कर्ज़ भी बढ़ा है — दो हज़ार तेईस में था एक सौ अठहत्तर करोड़, अब दो हज़ार पच्चीस में दो सौ बयासी करोड़ रुपये हो गया है। यानी ग्रोथ के साथ-साथ फाइनेंसिंग की डिपेंडेंसी भी बढ़ रही है। इसका असर कहाँ सबसे पहले दिखता है? — कैश फ्लो में।
कैश फ्लो – जो तस्वीर धुंधली कर सकता है
दो हज़ार चौबीस और पच्चीस — दोनों वर्षों में कंपनी का ऑपरेटिंग कैश फ्लो रहा निगेटिव। विशेषकर दो हज़ार पच्चीस में, माइनस एक सौ सतत्तर करोड़ रुपये की नकदी निकासी हुई। हालांकि कंपनी ने फाइनेंसिंग एक्टिविटी से दो सौ बाईस करोड़ रुपये उठाए — जो इस घाटे को संभालने में काम आए। लेकिन निवेशकों को ये समझना जरूरी है कि जब कोई कंपनी अपने रोज़ के बिज़नेस से कैश नहीं बना पा रही, तो उसे बाहरी फंडिंग पर निर्भर रहना पड़ता है — जो लंबी दौड़ में टिकाऊ नहीं होता। तो क्या ये ग्रोथ स्थायी है? इसके जवाब के लिए चलते हैं — रेशियो और रिटर्न की ओर।
रेशियो और रिटर्न – ग्रोथ कितनी मजबूत?
ROCE, यानी पूंजी पर रिटर्न, दो हज़ार इक्कीस में था दस प्रतिशत, अब बढ़कर हो गया है चौदह प्रतिशत। वहीं ROE — जो दर्शाता है कि शेयरहोल्डर्स को क्या मिल रहा है — वो नौ प्रतिशत से बढ़कर ग्यारह प्रतिशत हो गया है।
📈 तीन साल की प्रॉफिट ग्रोथ (CAGR): एक सौ एक प्रतिशत
📈 बिक्री ग्रोथ (TTM): इकतालीस प्रतिशत
इन आँकड़ों से यह साफ है कि कंपनी सिर्फ राजस्व नहीं बढ़ा रही, बल्कि अंदर से भी मजबूत हो रही है। लेकिन इतने शानदार प्रदर्शन के बीच, क्या कोई ‘स्मार्ट मनी’ चुपचाप बाहर निकल रही है?
शेयरहोल्डिंग पैटर्न – अलर्ट की घंटी?
दो हज़ार पच्चीस में, प्रमोटर की हिस्सेदारी थोड़ी घटी — इकतालीस दशमलव सत्तावन प्रतिशत से होकर इकतालीस दशमलव चौबीस प्रतिशत हो गई। लेकिन जो गिरावट सबसे ज्यादा चौंकाती है, वो है एफआईआई (विदेशी निवेशकों) की हिस्सेदारी में —
जो पाँच दशमलव छिहत्तर प्रतिशत से गिरकर अब सिर्फ शून्य दशमलव सतहत्तर प्रतिशत रह गई है। अब कंपनी के पचपन प्रतिशत शेयर हैं आम जनता यानी रिटेल इन्वेस्टर्स के पास। यह बदलाव कुछ कहता है — या तो विदेशी निवेशक मुनाफा बुक कर चुके हैं, या फिर उन्हें कंपनी की ग्रोथ में संदेह है।
अंतिम निष्कर्ष
अकमे फिनट्रेड (इंडिया) लिमिटेड एक ऐसी कंपनी है जो एनबीएफसी सेक्टर में धीरे-धीरे लेकिन मजबूती से उभर रही है। बिक्री, मुनाफा, रिज़र्व्स — सब बढ़ रहे हैं। मार्जिन और रिटर्न के आँकड़े भी भरोसा जगाते हैं। लेकिन — कैश फ्लो की नकारात्मक स्थिति और एफआईआई का बाहर निकलना कुछ निवेशकों के लिए चिंता का कारण हो सकते हैं। अगर आप लॉन्ग टर्म निवेशक हैं और ग्रोथ स्टोरी में विश्वास रखते हैं, तो यह कंपनी आपकी वॉचलिस्ट में जगह पाने की पूरी हकदार है।
अगर आपको यह गहराई से किया गया विश्लेषण पसंद आया हो, तो इस आर्टिकल को LIKE जरूर करें। और ऐसे ही हिडन जेम्स के लिए कमेंट करना बिल्कुल न भूलें।
और हाँ, साइट को सेव कर के रखें ताकि अगली बार जब हम किसी नई ग्रोथ स्टोरी को उजागर करें, तो आप सबसे पहले देखें!
Disclaimer
यह लेख केवल शिक्षात्मक (Educational) और जानकारी (Informational) उद्देश्य के लिए बनाया गया है। हम किसी भी प्रकार की खरीदने (Buy), बेचने (Sell) या होल्ड (Hold) करने की सलाह नहीं देते।
⚠ जोखिम चेतावनी (Risk Warning):
शेयर बाजार (Stock Market) में निवेश जोखिमों से भरा होता है। कृपया किसी भी वित्तीय निर्णय लेने से पहले अपने वित्तीय सलाहकार (Financial Advisor) से परामर्श करें।
✅ हमारी जानकारी निम्न आधारों पर होती है:
✔ सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डेटा
✔ तकनीकी और मौलिक विश्लेषण (Technical & Fundamental Analysis)
✔ ऐतिहासिक प्रदर्शन (Past Performance), लेकिन यह भविष्य की गारंटी नहीं है।
🚫 हमारी कोई ज़िम्मेदारी नहीं होगी:
- किसी भी निवेश में लाभ या हानि के लिए
- बाजार की अप्रत्याशित चाल के लिए
- गलत या अधूरी जानकारी की स्थिति में
📌 सूचना: शेयर बाजार में निवेश करने से पहले खुद की रिसर्च करें और सोच-समझकर फैसला लें।